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15 ) वो माटी कि गुल्लक ( यादों के झरोके से )



शीर्षक = वो माटी की गुल्लक



इस प्रतियोगिता के माध्यम से यादों के झरोखे से झाँक कर देखने पर एक और यादगार लम्हा मेरे हाथ लगा जिसे मुझे आप सब के साथ साँझा करने में बहुत मजा आएगा  क्यूंकि कही ना कही ये सब आपकी जिंदगी का भी हिस्सा रहा होगा अगर आपके अंदर भी पैसे जोड़ कर रखने की अच्छी आदत होगी बचपन में तब



गुल्लक,गोल मटोल सी माटी की गुल्लक जिसमे पैसे नहीं खुशियाँ एकत्रित होती थी ,अपनी मनपसंद चीज को खरीदने के लिए  अपनी पॉकेट मनी यानी की एक,दो रूपये कभी अठन्नी हमारे लिए तो यही पॉकेट मनी थी, और अन्य लोगो के बारे में कुछ कह नहीं सकते हमारे लिए  तो राशन में से बचे पैसे, पुराने कपड़ो से निकले पैसे, मेहमानों द्वारा दिए गए पैसे तीज त्योंहर पर मिले पैसे और कभी कभी स्कूल जाने के लिए मिले पैसों का मतलब ही पॉकेट मनी होता था 


जिसे भी हम  अपनी खुशियों की गुल्लक में डाल दिया करते थे, ताकि अपनी मनपसंद की चीज खरीद सके, वो तो सिर्फ एक बहाना था  हमें पैसे जोड़ने की शिक्षा देना हमारी माँ के द्वारा वरना तो ऐसा कभी नहीं हुआ की हमने अपने उन पैसों से अपने लिए कुछ खरीदा हो हाँ ये जरूर होता था की हमारे उन पैसों को लेकर हमारी अम्मी कुछ और पैसे मिलाकर हमारे लिए कुछ ले आती थी , नहीं तो वो पैसे वापस गुल्लक में आ जाते जिसकी ख़ुशी हमें बहुत होती


वो सिर्फ गुल्लक नहीं थी , उसमे चंद सिक्कों के रूप में खुशियाँ  इकठ्ठा होती थी और उन खुशियों को एक साथ देखने के लिए  हम सब का यही सवाल होता " अम्मी इसे तोड़ दू , ताकि जितने पैसे है उन्हे गिन लिया जाए "


और माँ का सिर्फ एक जवाब होता " अभी नहीं बाद को तोड़ देना, जब भर जाए पूरी "


उस भरी हुयी गुल्लक में खानखनाते सिक्कों की आवाज़ सुन कर जो ख़ुशी की लहर हमारे अंदर दौड़ती और उसका ज़िक्र हम अपने दोस्तों से करते फूले नहीं समाते आज भरा हुआ पर्स देख कर भी वो ख़ुशी नहीं मिल पाती जो उन अठन्नी चवन्नी और एक रूपये के सिक्कों की खन खन से हमारे चेहरे पर आती


सच में वो माटी की गुल्लक खुशियों का जखीरा थी, जो खन खनाते सिक्कों के रूप में उसमे समाई रहती और एक दिन फोड़ देने पर हमारे हाथ आ जाती, उसमे से निकले सिक्कों को गिनने का आंनद और फिर उन्हे दुकान पर लेजाकर कागज में तब्दील करने का मजा ही अलग था 


सच में वो गुल्लक और उसमे जमा धनराशि  हमारी खुशियाँ की सौगात लेकर आती थी 

बचपन और उससे जुडी हर एक याद एक सुनहरे लम्हें की तरह हमारे दिल और दिमाग़ में बसा हुआ है , उसके बारे में लिखते लिखते  सुबह से शाम हो जाए पर किससे खत्म न होने पाए 


ऐसे ही किसी अन्य यादगार लम्हें को इस प्रतियोगिता के माध्यम से आपके साथ साँझा करने आऊंगा  जब तक के लिए  अलविदा


यादों के झरोखे से 






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3 Comments

Gunjan Kamal

17-Dec-2022 09:09 PM

बहुत सुंदर

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Muskan khan

13-Dec-2022 05:21 PM

Amazing

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Zakirhusain Abbas Chougule

13-Dec-2022 03:06 PM

Nice

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